Shodashi - An Overview

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Community feasts Participate in an important role in these occasions, exactly where devotees appear jointly to share meals that often include traditional dishes. Such meals celebrate both equally the spiritual and cultural areas of the Pageant, enhancing communal harmony.

वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—

सौवर्णे शैलश‍ृङ्गे सुरगणरचिते तत्त्वसोपानयुक्ते ।

कन्दर्पे शान्तदर्पे त्रिनयननयनज्योतिषा देववृन्दैः

सा नित्यं मामकीने हृदयसरसिजे वासमङ्गीकरोतु ॥१४॥

ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह get more info साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।

The Mantra, However, is really a sonic representation from the Goddess, encapsulating her essence by sacred syllables. Reciting her Mantra is believed to invoke her divine presence and bestow blessings.

संरक्षार्थमुपागताऽभिरसकृन्नित्याभिधाभिर्मुदा ।

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी पञ्चरत्न स्तोत्रं ॥

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

Philosophically, she symbolizes the spiritual journey from ignorance to enlightenment and it is related to the supreme cosmic electricity.

ह्रीं ह्रीं ह्रीमित्यजस्रं हृदयसरसिजे भावयेऽहं भवानीम् ॥११॥

इति द्वादशभी श्लोकैः स्तवनं सर्वसिद्धिकृत् ।

ಓಂ ಶ್ರೀಂ ಹ್ರೀಂ ಕ್ಲೀಂ ಐಂ ಸೌ: ಓಂ ಹ್ರೀಂ ಶ್ರೀಂ ಕ ಎ ಐ ಲ ಹ್ರೀಂ ಹ ಸ ಕ ಹ ಲ ಹ್ರೀಂ ಸ ಕ ಲ ಹ್ರೀಂ ಸೌ: ಐಂ ಕ್ಲೀಂ ಹ್ರೀಂ ಶ್ರೀಂ 

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